महाभारत के एक ऐसे पात्र हैं जिसे लोग शक की नजर से ही देखते हैं शक किसी गलत काम का नहीं बल्कि षड्यंत्र का शकुनी को महाभारत में हमेशा षड्यंत्र करते हुए ही दिखाया गया है जैसे ही महाभारत के प्रत्येक पात्र की अपने आप में ही एक कहानी है वैसे ही शकुनि की भी अपनी एक कहानी है जिसे बहुत ही कम लोग जानते हैं कहते हैं 

कि हालात इंसान को किसी भी हद तक गिरने में मजबूर कर देते हैं अगर आज आप शकुनी को एक सम्मान की दृष्टि से देखना शुरू कर देंगे और आपको अंत में यह भी जानने को मिलेगा कितने पाप करने के बाद भी शकुनी को स्वर्ग क्यों मिला

कहानी शुरू होती है गांधार में जो आज के समय में अफगानिस्तान के कंधार के नाम से प्रसिद्ध है जो राजा सबल का राज्य था जो गांधारी और शकुनि के पिता थे 1 दिन राजा शुभ यज्ञ का आयोजन किया जिसमें कई पंडित और मनुष्यों को भी आमंत्रित किया गया यज्ञ में एक ज्योतिषी भी पहुंचे उन्होंने राजा को यह बताया कि उनकी बेटी गांधारी की किस्मत में एक ग्रह दोष चढ़ा हुआ है 

जिस कारण जिस से भी उसका विवाह होगा वह कुछ देर बाद ही मारा जाएगा राजा सबल यह सुन काफी दुखी हुए उन्हें बहुत ही प्यारी बेटी गांधारी के भविष्य को सुधारने के लिए राजा ने उनका विवाह एक बकरे से कर दिया और फिर उस बकरे की बलि चढ़ा दी गई ताकि उनकी बेटी के सिर से यह दोष हट जाए अब गांधारी पर से दोष हट गया था कम से कम उनके परिवार वालों को तो यही लगा था

कुछ समय बाद गांधारी का विवाह हस्तिनापुर के महाराज धृतराष्ट्र से हुआ जो राजा पांडु के अंधे भाई थे गांधारी जो गांधार में अपनी सुंदरता के लिए जानी जाती थी खासतौर पर उनकी सुंदर आंखों के लिए गांधारी ने उसे अंधकार में धकेल दिया था जिसमें धृतराष्ट्र जी रहा था इस बात से शकुनी बिल्कुल भी खुश नहीं था सब कुछ ठीक रहता अगर गांधारी के पहले विवाह के बारे में धृतराष्ट्र को पता नहीं चलता

लेकिन वह दिन आ गया जब धृतराष्ट्र को गांधारी के बारे में पता चला उसे ऐसा लगा कि उसके साथ विश्वासघात हुआ है वह अपराजित अजय हस्तिनापुर का राजा था इसे वे बर्दाश्त नहीं कर सका और उसके पूरे परिवार को काल कोठरी में डाल दिया और उन सभी को यह सजा दी गई कि उनके पूरे 100 सदस्यों के परिवार को दिन में केवल एक बार एक मुट्ठी खाने को ही दिया जाए एक मुठि से पूरे परिवार का पेट कैसे भरता और सोच कर ही यह दंड दिया गया था ताकि वह सभी मारे जाए

राजा सुमन ने यह सोचा कि अगर मैंने अभी कुछ नहीं किया तो मेरा पूरा परिवार ही मर जाएगा तो उसने एक उपाय सोचा कि हर एक दिन अगर किसी एक को एक मुट्ठी अनाज खाने को मिल जाए तो वह जिंदा बच जाएगा इस प्रकार उसका कुल ख़तम नहीं होगा लेकिन वह कौन होगा खुद राजा ने अपने बेटों की परीक्षा लेने के लिए सोचा यह जानने के लिए उन में से सबसे ज्यादा बुद्धिमान कौन है और जो अपने पूरे परिवार का बदला ले सके क्योंकि वह जानता था कि उसका समय आ गया है कुछ सोचा और एक हड्डी ली और हड्डी में से एक धागा डालने को अपने पूरे परिवार के सदस्य को कहा

लेकिन सभी इस काम में विफल रहे लेकिन शकुनि ने  धागे की एक तरफ अन्न बंधा और दूसरी और चींटी को अन्न का पीछा करते चिति एक से दूसरी ओर चली गई और चींटी के साथ ही धागा हड्डी के एक तरफ चला गया यह कर शकुनि ने बुद्धिमानी दिखाई और वो बच गए एक एक करके सारे भाइयों को मरते हुए देखा और अंत में अपने पिता को राजा सुबल अपने अंतिम क्षण गिन रहे थे तो उन्होंने शकुनि को आजाद कराने की विनती की

और धूतरास्त्र ने शकुनि को आज़ाद करा दिया और इसके बाद यह धृतराष्ट्र की सबसे बड़ी गलती कहलाई शकुनि द्वारा ही महाभारत के युद्ध में कौरवों को धकेला गया वह किया शकुनि ने वह किया जिसके लिए उसे ज़िंदा रखा गया था अपने वंश का विनाश का बदला लेने के लिए और अंत में पांडवो द्वारा धृतराष्ट्र के एक भी पुत्र को नहीं बख्शा गया शकुनि को कोई भी एक अच्छे इंसान के रूप में नहीं देखता

पर यह कहा जाता है कि शकुनि को अंत में स्वर्ग नसीब हुआ था क्योंकि अपने मकसद को पूरा करने के लिए अपनी जान भी दे दी थी और जो कुछ उसने किया वह अपने परिवार और गांधारी के साथ हुए अन्याय के चलते किया यही नहीं बल्कि एक पूरा मंदिर शकुनि के सन्मान में बनाया गया था जो केरल के कोल्लम में हे