एक ऐसा रहस्य मय शब्द जिसे हिंदू धर्म का सबसे पवित्र शब्द कहा जाता है एक ऐसा शब्द जो हमारी आत्मा को परमात्मा से जुड़ सकता है एक ऐसा शब्द जो हमारे मस्तिष्क के ज्ञान चक्षु खोल देता है लेकिन क्या सच में हम इसके बारे में पूरा सब जानते हैं आखिर क्या है इसे उच्चारण करने की विधि और क्या है इसका असर अगर हम हमारे धर्म ग्रंथों से जाने तो एक ऐसी ध्वनि है जो शून्य को मस्तिष्क से जुड़ सकती है 

 

हमारे वेदों में ओम को उत्पत्ति का स्रोत माना जाता है अर्थात इसी से सृष्टि की रचना हुई है जब इस सृष्टि की भौतिक अवस्था की शुरुआत हुई तब सबसे पहली ध्वनि ओम की ही थी ऐसा नहीं है कि ओम की ध्वनि को सिर्फ हिंदू धर्म तक सीमित रखा गया है जैन धर्म बौद्ध धर्म और सिख धर्म में भी इसके बारे में विस्तार से बताया गया है 21वीं सदी में तो पश्चिमी वैज्ञानिक भी ओम पर रीसर्च करने में लग गए हैं क्योंकि योग मुद्रा में इसका असर शरीर पर चमत्कारी रूप से होता है भारत की कई यूनिवर्सिटी में ओम शब्द पर कई तरह के शोध हुए जिसमें यह असर सब पर साफ था कि रोज ओम का उच्चारण करने वाले लोग दूसरों से ज्यादा शान्त थे लेकिन 

 

सबसे बड़ा चमत्कार तो यह था कि ओम के उच्चारण से उन लोगों की कई बीमारियां बड़े ही धीमे थी में असर कर रही थी कई वैज्ञानिक इसे प्लेसी बू इफ़ेक्ट मान रहे थे यह इफ्फेक्ट तब होता है जब कोई व्यक्ति को नेगेटिव चीज को  पॉजिटिव से बदला जाता है जैसे कई लोग बिना बीमार होते हुए भी खुद को सोच सोच कर बीमार हो जाते हैं जब उन्हें सिर्फ साधारण चीनी की गोलियां देकर झूठ कहा जाता है कि यह एक मेडिसिन है तो इससे वह पॉजिटिव होकर बीमारी को ठीक होने का दावा करने लगते हैं 

 

यूनाइटेड स्टेट्स में भी कई जगह पर इस बात पर चल रही है कि क्या ओम की ध्वनि का असर शरीर पर पड़ता है इसके लिए अलगअलग ध्वनि को ऊंची आवाज में बजाया जाता है हर ध्वनि का असर शांत पड़े पानी पर अलग पड़ता नजर आता है ओम की ध्वनि का असर पानी पर सबसे अलग पड़ता है वैज्ञानिक खुद हैरान थे कि ओम की ध्वनि के चलने पर पानी पर ऐसी आकृति बनती है जो बिल्कुल हिंदू धर्म में बातये श्रीयंत्र जैसी होती है कोई और ध्वनि ऐसी आकृति नहीं बनाती थी रिसर्च ने खुद दावा भी किया की मस्तिक्ष पर भी अलग ही असर पड़ता है और हो सकता है इसके उच्चारण से सबकॉन्शियस माइंड पर असर पड़ता है 

 

अगर हम बात करें हमारे धर्म ग्रंथों की तो उसमें भी यही बताया गया है कि ओम की ध्वनि के उच्चारण से ही ईश्वर का ज्ञान पाया जा सकता है लेकिन इसका सही उच्चारण करने पर ही यह असर पड़ता है इसकी विधि हम आपको बताते हैं धरती पर योग मुद्रा में बैठकर रीड की हड्डी को सीधा करके ओम की ध्वनि को लंबा खींचते हुए उच्चारण करना होता है इसका सही समय प्रातः काल सूर्योदय के समय ही होता है तभी हमारा मस्तिष्क शांत और स्थिर होता है इसका उच्चारण भी एकएक शब्द को लंबा खींच कर करना पड़ता है ममममम आप ही से एक बार आजमा कर देख सकते हैं और इसका असर आप पर क्या पड़ता है हमें कमेंट में बताएं