भगवान शिव जिन्हें सर्वोपरि और सर्वशक्तिमान कहा जाता है उनकी शक्तियों की व्याख्या हर पुराण में की गई है लेकिन फिर भी भगवान शिव के जन्म की कथा हर पुराण में अलग-अलग बताई गई है यही कारण है कि हमारे मन में भ्रम पैदा होना शुरू हो जाता है जिसे दूर करने का ज्ञान हमें कहीं और से नहीं मिल पाता लेकिन आज हम आपको भगवान शिव के जन्म की पूरी जानकारी सरलता से समझाने की कोशिश करेंगे जिसके बाद आपके मन में कोई शंका नहीं रहेगी

सबसे पहली बात करते हैं विष्णु पुराण कि जब हमारे ब्रह्मांड का निर्माण नहीं हुआ था तब कॉस्मिक ओशन में भगवान विष्णु की नाभि से ब्रह्मा जी का जन्म हुआ ब्रह्मा जी को भगवान विष्णु का ज्ञान था लेकिन तभी वहां पर भगवान शिव प्रकट हुए तब ब्रह्मा जी ने भगवान शिव को पहचानने से इंकार कर दिया लेकिन यह सब देखकर भगवान विष्णु ने ब्रह्मा जी को याद करवाया कि भगवान शिव कौन है तब ब्रह्मा जी को अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने भगवान शिव को पुत्र के रूप में मांगा

इसके बहुत बाद जब ब्रह्मा जी तप कर रहे थे तब उनसे एक बच्चा प्रकट हुआ वह बच्चा बेहद प्रचंड रूप में रो रहा था वह स्वयं भगवान शिव थे जब ब्रह्मा जी ने पूछा आप क्यों रो रहे हैं तो भगवान शिव ने कहा कि मैं ब्रह्मा नहीं हूं तब ब्रह्माजी ने उनका नाम रूद्र रखा जिसका अर्थ होता है प्रचंड ऐसी ही एक कथा शिव पुराण में भी बताई गई है एक बार भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी में विवाद हो रहा था कि दोनों में से कौन बड़ा है तभी एक ज्वाला स्तंभ प्रकट हुआ इसका कोई छोर नजर नहीं आ रहा था तब भगवान विष्णु उसका एक छोर ढूंढने गए और ब्रह्मा जी उसका दूसरा छोर लेकिन वो ऐसा ना कर पाए क्योंकि उसका कोई अंत नहीं था तब दोनों अपने पहले स्थान पर आ गए तब वहां पर भगवान शिव प्रकट हुए तब दोनों को भगवान शिव की शक्ति का आभास हुआ

इसी तरह की एक कथा ब्रह्म पुराण में भी बताई गई है जिसमें तीनों का जन्म शक्ति से हुआ बताया जाता है आप यही सोच रहे होंगे कि इनमें से एक सही पुराण होगा और बाकी गलत लेकिन आज मैं आपकी इस शंका को भी दूर कर दूंगा तो पहले बात शिव पुराण से करते हैं जिसमें सदाशिव को स्वयंभू कहा जाता है यानी वो जो स्वयं प्रकट हुए हैं उनका न जन्म हुआ ना मृत्यु होगी इसी प्रकार विष्णु पुराण में विष्णु जी को सत्य ईश्वर कहा जाता है वह समय से बाहर हैं उनका कोई रंग रूप या आकर नहीं है

यानी हम देखें तो सदाशिव और सत्य विष्णु की परिभाषा एक समान है यानी वह एक ही स्वरूप है बस अलग पुराण में अलग नाम वह सृष्टि संचालन के लिए एक भौतिक रूप लेते हैं भौतिक सृष्टि में उनके ही कई भौतिक रूप आते हैं सृष्टि उत्पत्ति के लिए ही ब्रह्मा जी आए थे संचालन के लिए वह विष्णु जी के रूप में आए प्रलय के समय उन्हीं का भौतिक रूप भगवान शिव आते हैं ऐसे ही भौतिक सृष्टि के नियम का पालन होता है

हमारी सृष्टि की कई बार बन चुकी है और कई बार इस का विनाश हो चुका है हर बार सृष्टि में उनके ही रूप में कभी ब्रह्मा जी से भगवान शिव ने जन्म लिया तो काफी भगवान शिव स्वयं के रूप में प्रकट हुए और जब सृष्टि का अंत हुआ तो वह उसी निराकार स्वरूप में समा गए यही कारण है कि हर पुराण में आपको अलग कथा मिल जाती है अगर हम उसकी गहराई में जाएं तभी हमें सत्य ज्ञान प्राप्त होता है भगवान शिव भी निराकार सदाशिव का भौतिक स्वरूप हैं जो अलग-अलग तरह से सृष्टि में आते हैं और अपना कार्य करते हैं